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Daal Rate: धड़ाम से गिरे अरहर की दाल के भाव, जानें रेट्स

Daal Rate Today: सरकार का लक्ष्य कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से खुले बाजार में जारी करने के लिए 10 लाख टन अरहर का बफर स्टॉक बनाए रखना है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, इस महीने की 22 तारीख तक इन राज्यों में कुल 3.92 लाख टन अरहर की खरीद की गई है

 
Daal rates

Daal Rate Today: अरहर की दाल बहुत से घरों में रोजाना पकाई जाती है, कुछ लोगों का तो यहां तक मानना है कि अगर थाली में अरहर की दाल न हो तो थाली पूरी नहीं होती. इस वजह से सरकार सबसे ज्यादा अरहर की दाल की कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश करती है और समय-समय पर सरकारी एजेंसियों के द्वारा किसानों से डायरेक्ट अरहर की दाल खरीदती रहती है.

हाल ही में अरहर की दाम की कीमतों के बढ़ने की वजह से सरकार ने अरहर की नई फसल आते ही सरकारी एजेंसियों के द्वारा अरहर की दाल की खरीद दोबारा शुरू कर दी, जिस वजह से आने वाले दिनों में अरहर की दाल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है.

मूल्य समर्थन योजना में खरीदी अरहर की दाल

कृषि मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत इस साल अब तक 3,92,000 टन तुअर (अरहर) की खरीद की है. 

योजना के तहत, अरहर की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जा रही है. मंत्रालय ने नौ राज्यों से 13.22 लाख टन अरहर की खरीद को मंजूरी दी है.

सरकार का लक्ष्य कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से खुले बाजार में जारी करने के लिए 10 लाख टन तुअर का बफर स्टॉक बनाए रखना है. 

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, इस महीने की 22 तारीख तक इन राज्यों में कुल 3.92 लाख टन तुअर की खरीद की गई है, जिससे इन राज्यों के 2,56,517 किसान लाभान्वित हुए हैं.

कैसे हो रही ही तुअर की दाल की खरीदी

अरहर की खरीद सहकारी समितियों नैफेड और एनसीसीएफ के ई-समृद्धि पोर्टल पर पहले से पंजीकृत किसानों से भी की जाती है. मूल्य समर्थन योजना तब लागू होती है जब कुछ कृषि वस्तुओं के बाजार मूल्य एमएसपी से नीचे गिर जाते हैं. 

वर्ष 2025 के बजट में, सरकार ने दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए वर्ष 2028-29 तक केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से राज्य उत्पादन के सापेक्ष अरहर, मसूर और उड़द की 100 प्रतिशत खरीद करने की प्रतिबद्धता जताई है. हाल के वर्षों में घरेलू उत्पादन में वृद्धि के बावजूद, भारत घरेलू दलहन आपूर्ति में कमी को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है