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World Immunization week : जन्म के बाद बच्चों के लिए ये टिक्के हैं जरूरी, नहीं तो हो सकता है नुकसान

World Immunization week : जन्म के बाद बच्चों का टीकाकरण जरूर करवाना चाहिए. टीकाकरण से बच्चों की कई जानलेवा बीमारियों से सुरक्षा होती है. टीकाकरण से बच्चों के शरीर में बीमारियों को लेकर एंटीबॉडी विकसित हो जाती है. यह बच्चों को बीमारियों से लड़ने में मदद करती है.

 
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World Immunization week : बच्चों को कई गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण जरूरी होता है. यूं तो जब बच्चा गर्भ में होता है तभी मां का टीकाकरण शुरु हो जाता है, लेकिन बच्चे के जन्म के बाद कई टीके लगवाना जरूरी होता है. 

टीकाकरण के अभाव में बच्चे कई जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. बच्चों के लिए सबसे ज्यादा जानलेवा निमोनिया और गलघोंटू बीमारी होती है. इसके अलावा काली खांसी और खसरा भी बच्चों के लिए जानलेवा हो सकती है. डॉक्टर बता रहे हैं कि जन्म के बाद बच्चों को कौन सी वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए.

बच्चों में कई तरह की जानलेवा बीमारियां होती हैं. इन बीमारियों से वैक्सीन उनका बचाव करती है. गाजियाबाद के इम्युनाइजेशनऑफिसर डॉ. नीरज अग्रवाल बताते हैं कि टीके नहीं लगवाने से बच्चों ने जानलेवा बीमारियों का खतरा बना रहता है. 

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यह बीमारियां 17 साल की आयु तक कभी भी हो सकती है. इन बीमारियों में तुरंत इलाज की जरूरत होती है और देरी होने पर बच्चों की जान को गंभीर खतरा होता है. इसलिए बच्चों का टीकाकरण जरूर करवाना चाहिए.

ये टीके जरूर लगवाएं

सरकार ने बच्चों के जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए 7 तरह की वैक्सीन के टीकों को टीकाकरण प्रोग्राम में शामिल किया है. 

इनमें बीसीजी, हेपेटाइटिस बी, रोटावायरस, डिप्थीरिया, टिटनस, काली खांसी (पर्टुसिस), हिब, पोलियो, खसरा, कण्ठमाला, रूबेला, और चिकन पॉक्स शामिल हैं. ये टीके बच्चों को गंभीर जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं. इनके अलावा अब न्यूमोकोकल और कोविड-19 का टीका भी उपलब्ध है.

टीके नहीं लगवाने से नुकसान

बच्चों का टीकाकरण नहीं करवाने से उन्हें कई जानलेवा रोगों का खतरा बना रहता है. टीकाकरण से बच्चों में संबंधित बीमारी के प्रति एंटीबॉडी विकसित होती है. जिससे उनकी बीमारियों से सुरक्षा होती है. 

बच्चों को टीके जन्म के बाद लगने शुरु होते हैं और सात साल की उम्र तक लगते हैं. 

यदि कोई टीका बच्चे को लगवाने से छूट गया तो अपने डॉक्टर से संपर्क करके वह टीका लगवा सकते हैं. बच्चों के टीकाकरण का रिकॉर्ड रखना भी जरूरी होता है.